एल्कीन
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को उनमें उपस्थित बंधनों के प्रकार के आधार पर, एल्कीन, एल्काइन और एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन में वर्गीकृत किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के कार्बनिक यौगिकों जिन्हें असंतृप्त हाइड्रोकार्बन के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, नीचे संक्षेप में चर्चा की गई है।
- वे हाइड्रोकार्बन जिनमें दो कार्बन परमाणुओं के बीच कम से कम एक द्विबंध होता है, एल्कीन या ओलेफिन कहलाते हैं। सबसे सरल एल्कीन एथिलीन है, जिसका रासायनिक सूत्र C2H4 है।
- एक-दूसरे के पास स्थित दो कार्बन परमाणुओं के बीच कम से कम एक त्रिबंध वाले हाइड्रोकार्बन को एल्काइन कहा जाता है। सबसे सरल संरचना वाला एल्काइन एसिटिलीन है जिसका रासायनिक सूत्र C2H2 है।
- चक्रीय हाइड्रोकार्बन जिनमें दो कार्बन परमाणुओं के बीच कम से कम एक द्विबंध या त्रिबंध होता है, उन्हें भी असंतृप्त हाइड्रोकार्बन माना जाता है, ऐसा एक उदाहरण साइक्लोपेन्टीन (C5H8) है।
हाइड्रोकार्बन के प्रकार
हाइड्रोकार्बन दो प्रकार के होते हैं:
- संतृप्त हाइड्रोकार्बन
- असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
संतृप्त हाइड्रोकार्बन
ऐसे हाइड्रोकार्बन जिनमे कार्बन- कार्बन के मध्य एकल बंध पाया जाता है, संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। संतृप्त हाइड्रोकार्बन का सामान्य सूत्र CnH2n+2 और सामान्य नाम – एल्केन होता है। इनका नाम लिखते समय इनके अंत में “ane” लगाते है।
जैसे – मेथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन इत्यादि।
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
ऐसे हाइड्रोकार्बन जिनमे प्रत्येक कार्बन- कार्बन के मध्य या किन्ही दो कार्बनों के मध्य द्विबंध या त्रिबंध पाया जाता है, असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते है।
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन दो प्रकार के होते हैं:
1.द्विबंधयुक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
2.त्रिबन्धयुक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
द्विबंधयुक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
वे हाइड्रोकार्बन जिनमे किन्ही दो कार्बन के मध्य द्विबंध पाया जाता है, द्विबंधयुक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। द्विबंधयुक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का सामान्य सूत्र -CnH2n और इसका सामान्य नाम – एल्कीन होता है। नाम लिखते समय इनके अंत में “ene” लगाते हैं।
जैसे- एथीन ,प्रोपीन, ब्युटीन, पेन्टीन इत्यादि।
त्रिबंधयुक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
ऐसे हाइड्रोकार्बन जिनमे किन्ही दो कार्बन के मध्य त्रिबंध पाया जाता है, त्रिबंधयुक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। त्रिबंधयुक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का सामान्य सूत्र -CnH2n-2 और सामान्य नाम – एल्काइन(alkyne) होता है। नाम लिखते समय इनके अंत में “yne” लगाते हैं।
जैसे- एथाइन , प्रोपाइन, ब्यूटाइन, पेंटाइन इत्यादि।
एल्कीन
कार्बनिक रसायन में, एल्कीन (Alkene), एक असंतृप्त रासायनिक यौगिक होता है जिसमे कम से कम एक कार्बन-कार्बन के बीच में द्वि-बन्ध होता है। इन्हें ओलेफिन, या ओलेफाइन भी कहते हैं। सरलतम अचक्रीय एल्कीन वह होते हैं जिसमे सिर्फ एक द्वि-बन्ध होता है तथा अन्य कोई प्रक्रियात्मक समूह नहीं होता। यह मिलकर एक समरूप हाइड्रोकार्बन शृंखला की रचना करते हैं जिसका साधारण सूत्र (फार्मूला) CnH2n होता है। एथिलीन (C2H4) सबसे सरल एल्कीन है। एल्कीनों को "ओलेफिन" भी कहा जाता है, एरोमैटिक (सुरभित) यौगिकों को प्रायः "चक्रीय एल्कीन" का रूप माना जाता है, लेकिन उनकी संरचना और गुण इससे भिन्न होते हैं और वे एल्कीन नहीं होते।
एक कार्बन श्रृंखला जिसमें एक या एक से अधिक कार्बन-कार्बन द्विबंध पाए जाते हैं उसे एल्कीन कहा जाता है। कार्बन-कार्बन द्विबंध एक एल्कीन क्रियात्मक समूह है। एक एल्कीन संरचना कार्बन श्रृंखला के अंतिम छोर पर, मोनोप्रतिस्थापित या अप्रतिस्थापित हो सकती है। एक मोनोप्रतिस्थापित एल्कीन में एक R -समूह या अन्य क्रियात्मक समूह होगा जो एल्कीन में कार्बन परमाणुओं से निकलेगा, और चौथा बंध हाइड्रोजन होगा। एक विघटित एल्कीन में दो R -समूह या अन्य क्रियात्मक समूह होंगे जो एल्कीन में कार्बन परमाणुओं से निकलते हैं, जिसमें कोई हाइड्रोजन परमाणु नहीं होता है। पांच कार्बन परमाणुओं वाला एल्कीन, पेंटीन , टर्मिनल कार्बन पर द्विबंध डाल सकता है।
साधारण सूत्र (फार्मूला) CnH2n
यदि n = 2
= C2H22
= C2H4
= CH2 = CH2
यदि n = 3
= C3H23
= C3H6
= H3C - CH = CH2
एल्कीन में ट्रांस या सिस गठन भी हो सकता है। सिस और ट्रांस फॉर्मेशन एक विशेष प्रकार के समावयवी हैं जिन्हे त्रिविम समावयवी कहा जाता है। एक ट्रांस फॉर्मेशन एल्कीन से जुड़े दोनों सबसे बड़े क्रियात्मक समूहों को द्वि-बन्ध के विपरीत किनारों पर रखता है। एक सिस गठन एल्कीन से जुड़े दोनों सबसे बड़े क्रियात्मक समूहों को बंध के एक ही तरफ रखता है।
द्विआबन्ध की संरचना
एल्कीनों में C = C द्विआबन्ध है जिसमे एक प्रबल सिग्मा आबंध होता है, जो दो कार्बन परमाणु के स्प संकरित कक्षकों के अतिव्यापन से बनता है।
कार्बन कार्बन एकल बंध की लम्बाई (1.54 pm) तथा कार्बन कार्बन द्विबंध की लम्बाई (1.34 pm) होती है जोकि सिग्मा बंध से कम होती है। दुर्बल पाई आबंध की उपस्थित के कारण एल्कीन अणुओं को एल्केन की तुलना में अस्थायी बनाती है। अतः एल्कीन इलेक्ट्रान स्नेही अभिकर्मकों के साथ संयुक्त होकर एकल आबंध युक्त यौगिक बनाते हैं। कार्बन कार्बन द्विआबन्ध की सामर्थ्य एथेन के कार्बन कार्बन एकल आबंध की तुलना में अधिक होती है।
अभ्यास प्रश्न
- द्विआबन्ध की संरचना से आप क्या समझते हैं ?
- हाइड्रोकार्बन को समझाइये।
- एल्कीन का रासायनिक सूत्र लिखिए।