प्रतिबल
Listen
Stress
भौतिकी और इंजीनियरिंग के संदर्भ में प्रतिबल, बाहरी भार या बलों के अधीन होने पर किसी पदार्थ द्वारा अनुभव किए जाने वाले आंतरिक बल या दबाव को संदर्भित करता है। यह किसी पदार्थ के भीतर विरूपण का विरोध करने वाली आंतरिक शक्तियों की तीव्रता का माप है।
प्रायः प्रतीकचिन्ह,रूप में तनाव को "" (सिग्मा) द्वारा दर्शाया जाता है और इसे प्रति इकाई क्षेत्र बल की इकाइयों में व्यक्त किया जाता है, जैसे पास्कल () या न्यूटन प्रति वर्ग मीटर ()।
यहाँ एक समान दंड के अनुप्रस्थ परिच्छेद (प्रिज्मीय दंड के क्रॉस-सेक्शनल क्षेत्र का सीधा सदस्य) में सामान्य रूप से वितरित प्रतिबलीय तनाव के बारे में सोचा जा सकता है ( जैसा की चित्र में दिखलाया गया है)। बार के क्रॉस सेक्शन में तनाव या बल वितरण आवश्यक रूप से एक समान नहीं है। हालाँकि गणना के लीये , औसत सामान्य तनाव का उपयोग किया जा सकता है।
कार्य पद्दती अनुसार संवर्गीकरण
ऐसे कई प्रकार के प्रतिबल हैं जो किसी पदार्थ पर कार्य कर सकते हैं:
तन्य प्रतिबल
तन्य प्रतिबल तब होता है जब किसी पदार्थ पर ऐसे बल आरोपित करे जा रहे हों ,जो उसमे खिंचाव अथवा लंबन उत्पन्न करने की प्रवृत्ति रखता हो । तनी प्रतिबल लगाए गए बल की दिशा में कार्य करता है और पदार्थ में प्रतिबल का अनुभव कराता है। उदाहरण के लिए, यदि रबर बैंड को दोनों सिरों से खींचते हैं, तो यह तन्य तनाव का अनुभव करता है।
संपीड़न प्रतिबल
संपीड़न तनाव, तन्य तनाव के विपरीत है। यह तब होता है, जब बल किसी पदार्थ पर संपीड़िन या निचोड़ने की प्रवृत्ति से कार्य करते हैं। संपीड़न तनाव,तनाव की विपरीत दिशा में कार्य करता है और किसी पदार्थ को छोटा या झुकने का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, जब किसी स्प्रिंग को दबाया जाता है, तो वह स्प्रिंग संपीड़न प्रतिबल का अनुभव करता है।
कर्तनी (कतरनी) प्रतिबल
कर्तनी तनाव तब उत्पन्न होता है जब बल किसी पदार्थ के क्षेत्र या सतह के समानांतर,लेकिन विपरीत दिशाओं में कार्य करते हैं। यह पदार्थ की आसन्न परतों को एक-दूसरे से आगे खिसकने का कारण बनता है। प्रायः कतरनी प्रतिबल काटने या फिसलने वाले अनुप्रयोगों में सामने आता है, जैसे कि किसी कैंची से कागज के टुकड़े को काटा जाता है या किसी बल की आधीन होकर किसी पदार्थ की एक परत दूसरी परत के सापेक्ष फिसलती है।
व्यावर्ती (मरोड़ वाला)प्रतिबल
मरोड़ वाला प्रतिबल तब होता है जब किसी पदार्थ पर घुमाव या घूर्णी बल लगाया जाता है। यह पदार्थ को अपनी धुरी पर मोड़ने या विकृत करने का कारण बनता है। स्क्रूड्राइवर को घुमाने या किवाड़ के हैंडल को मोड़ने जैसे अनुप्रयोगों में मरोड़ वाले प्रतिबल का सामना करना पड़ता है।
तनाव व विकृति में भेद
अभियांत्रिकी और पदार्थ विज्ञान में प्रतिबल एक आवश्यक अवधारणा है क्योंकि यह संरचनाओं और घटकों की बलारोपती अवस्था में स्थिरता निर्धारित करने में सुविधा करता है। पदार्थों से बनी सामग्रियों पर कार्य करने वाले प्रतिबलों का विश्लेषण कर यह सुनिश्चित कीया जाता है कि किसी भी पदार्थ पर आरोपित बल के फलस्वरूप,उस पदार्थ में उत्पन्न प्रतिबल की मात्र अत्याधिक न हो जाए जो उस सामग्री में स्थायी विरूपण या विफलता का कारण बन सकती है ।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विकृति (जिसे विरूपण के नाम से भी जाना जाता है), तनाव से भिन्न है, जो प्रतिबल के अधीन किसी पदार्थ (अथवा पदार्थों से बनी सामग्रीयों अथवा वस्तुओं ) के परिणामी विरूपण या आकार में परिवर्तन को संदर्भित करता है। विरूपण और प्रतिबलीय तनाव के बीच संबंध को पदार्थ के यांत्रिक गुणों द्वारा वर्णित किया गया है, जैसे तन्य या संपीड़ित प्रतिबल के लिए यंग मापांक और कतरनी प्रतिबल के लिए कतरनी मापांक।
संक्षेप में
प्रतिबल वह आंतरिक बल या दबाव है जो बाहरी बलों या भार के अधीन होने पर किसी पदार्थ द्वारा अनुभव किया जाता है। यह विरूपण का विरोध करने वाली आंतरिक शक्तियों की तीव्रता का माप है। अभियंत्रिक अभिकल्पन (इंजीनियरिंग डिजाइन) और संरचनाओं और सामग्रियों की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में तनाव को समझना और उसका विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है।