वर्ग (आवर्त सारणी)

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1869 में, रूसी रसायनज्ञ मेंडेलीव ने अपनी पहली आवर्त सारणी प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के क्रम में सूचीबद्ध किया था। उसी समय, जर्मन रसायनशास्त्री लोथर मेयर ने अपनी आवर्त सारणी प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने तत्वों को न्यूनतम से अधिकतम परमाणु क्रमांक के क्रम में व्यवस्थित किया था। तत्व किसी भी पदार्थ की मूल इकाई है। सन 1800 में केवल 31 तत्व ही ज्ञात थे। इसके बाद सन 1865 तक 63 तत्वों की जानकारी हो गई थी। अब हमे 114 तत्व ज्ञात हैं। इतने सारे तत्वों और यौगिकों के बारे में जानकारी ज्ञात करना आसान नहीं है।  तत्वों के बारे में जानकारी करने के लिए वैज्ञानिकों ने वर्गीकरण का सहारा लिया। आवर्त सरणी में लगभग 118 तत्व ज्ञात हैं और हमें उन सभी का अध्ययन करने की आवश्यकता है। लेकिन, प्रत्येक तत्व के सभी भौतिक और रासायनिक गुणों को समझनाआसान है, इसलिए हमें उन्हें कुछ समान विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत करने की आवश्यकता है ताकि, यदि हम वर्ग के एक तत्व का अध्ययन करते हैं तो हम दूसरों के गुणों को भी आसानी से समझ सकेंगे। एक ही प्रकार के तत्वों को एक ही वर्ग में व्यवस्थित करने से तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों की तुलना करना आसान हो जायेगा अतः के तत्वों के लिए वर्गीकरण आवश्यक है। मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ कमियाँ होने के कारण उनमे  सुधार की आवश्यकता महसूस हुई। मेंडलीफ की सारणी में कई सुधार किये गए जिसमे एक नए वर्ग शून्य का जोड़ा जाना जिसमे निष्क्रिय गैसों को रखा गया है आदि हैं। सारणी के विकास में राग,वर्नर, बोहर, बरी आदि वैज्ञानिकों ने अपना योगदान किया और आधुनिक आवर्त सारणी का निर्माण हुआ। आधुनिक आवर्त सारणी से अल्फ्रेड वर्नर ने आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप का विकास किया। सन 1952 में कोस्टा रिका के वैज्ञानिक गिल चावेरी ने आवर्त सारणी का एक नया रूप प्रस्तुत किया जो तत्वों के इलेक्ट्रानिक संरचना पर आधारित था।

आवर्त सारणी

इस आवर्त सारणी में तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के आधार पर रखा गया है।

इनमे दो प्रकार की पंकितयाँ होती हैं:

क्षैतिज पंक्ति को आवर्त कहा गया है।

ऊर्ध्वाधर पंक्ति को वर्ग कहा गया है

इस सारणी में 18 ऊर्ध्वाधर स्तम्भ हैं जिन्हें वर्ग कहा जाता है। इस आवर्त सारणी में सभी ज्ञात 118 तत्वों को स्थान मिला है। इसमें लेंथिनाइड और ऐक्टिनाइड तत्वों को अलग से स्थान दिया गया है।

जिसमे तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते क्रम में रखा गया है।

आधुनिक आवर्त सारणी के गुण

  • इस आवर्त सारणी में 18 वर्ग तथा 7 आवर्त हैं।
  • सबसे छोटा आवर्त प्रथम आवर्त है जिसमे केवल दो तत्व है
  • दूसरे और तीसरे आवर्त में आठ आठ सदस्य हैं। इन्हें लघु आवर्त कहा जाता है।
  • चौथे और पांचवे आवर्त में 18 -18 तत्व हैं। इन्हें दीर्घ आवर्त कहा जाता है।
  • छठे और सातवें आवर्तों को अति दीर्घ आवर्त कहा जाता है। इनमे 32 -32 तत्व हैं।
  • सातवें आवर्त रिक्त होता है जिसमे भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों के लिए रिक्त स्थान  हैं।
  • पहले और दूसरे वर्ग को s ब्लॉक तत्व कहा गया, वर्ग 13 से 18 को p ब्लॉक वर्ग 3 से 12 तक के तत्वों को d ब्लॉक तथा लैंथेनाइड और ऐक्टिनाइड तत्वों को f ब्लॉक कहा जाता है।

मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएं

  • मेंडलीव  की आवर्त सारणी के वर्तमान स्वरूप में 9 वर्ग है तथा नवा वर्ग “शून्य वर्ग” या जीरो ग्रुप कहलाता है।
  • आवर्त सारणी में उपस्थित क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहा गया।
  • आवर्त सारणी में उपस्थित ऊर्ध्वाधर पंक्तियों को वर्ग कहा गया।
  • पहले आवर्त में केवल दो तत्व (H, He) रखें गए इसे “अतिलघु आवर्त” कहते हैं।
  • दूसरे तथा तीसरे आवर्त में आठ-आठ तत्व है इसे “लघु आवर्त” कहते है।
  • चौथे तथा पांचवे आवर्त में बत्तीस तत्व है इसे “दीर्घ आवर्त” कहते हैं।
  • छठे आवर्त में 32 तत्व हैं इसे “अतिदीर्घ आवर्त” कहते है।
  • मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में आठ वर्ग हैं, और नवां वर्ग में उत्कृष्ट गैसे आती हैं।

आधुनिक आवर्त सारणी के दोष

  • आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान सही नहीं माना गया है। इसमें हाइड्रोजन को एल्कली धातुओं अर्थात s वर्ग के साथ स्थान दिया गया है जबकि हाइड्रोजन विद्युत् धनात्मक एल्कली धातु और विद्युत् ऋणात्मक अधातु हैलोजन दोनों के समान गुण प्रदर्शित करता है।
  • बेरियम, लेड, मरकरी और कॉपर को अलग अलग स्थानों पर रखा गया है जबकि इनके गुण समान हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • आधुनिक आवर्त सारणी से आप क्या समझते हैं ?
  • आधुनिक आवर्त सारणी के गुण बताइये।
  • मेंडलीफ की सारणी में कई विसंगतियां पायी जाती हैं स्पष्ट ज्ञात कीजिये।
  • आधुनिक आवर्त सारणी के दोष क्या हैं ?