समआयतनिक
गै -लुसैक के अनुसार
" जब गैसें परस्पर रासायनिक अभिक्रिया करती हैं तो समान ताप और दाब पर उनके अभिकारी आयतनों में तथा अभिक्रिया में बने गैसीय पदार्थों के आयतनों में सरल पूर्णांक अनुपात होता है।" गे-लुसाक का आयतन संयोजन का नियम, जिसे गे-लुसाक का आयतन का नियम भी कहा जाता है, एक गैस नियम है जो बताता है कि जब गैसें स्थिर ताप और दाब पर अभिक्रिया करती हैं, तो अभिक्रिया करने वाली गैसों की मात्रा और उत्पादों की मात्रा (यदि गैसीय हो) सरल पूर्णांक अनुपात में हैं। इस नियम के अनुसार स्थिर आयतन पर किसी निश्चित मात्रा वाली गैस का दाब उसके आयतन के समानुपाती होता है।
स्वचालित वाहनों के टायरों में दाब प्रायः समान रहता है, परन्तु गर्मी के दिनों ये यह दाब काफी बढ़ जाता है। और यदि दाब को अच्छी तरह से समयोजित नहीं किया जाता है तो टायर फट जाता है लेकिन ठीक इसके विपरीत सर्दी के मौसम में वाहन के टायर में दाब बहुत कम हो जाता है।
उदाहरण
प्रयोगों द्वारा ज्ञात हुआ है कि, समान ताप और दाब पर, एक आयतन हाइड्रोजन और एक आयतन क्लोरीन के संयोग से दो आयतन हाइड्रोजन क्लोराइड गैस बनती है। इसी प्रकार, दो आयतन हाइड्रोजन तथा एक आयतन ऑक्सीजन के संयोग से दो आयतन जल वाष्प बनती है। गणितीय रूप से, गे-लुसाक के आयतन के संयोजन के नियम को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:
= स्थिरांक
गे-लुसाक का नियम कहता है कि " स्थिर आयतन पर, गैस के दिए गए द्रव्यमान का दबाव गैस के पूर्ण तापमान के सीधे आनुपातिक होता है "।
(गैस के दिए गए द्रव्यमान के लिए स्थिर आयतन पर)
जहां
P = दबाव
T = तापमान
इस प्रकार, किसी भी बदले हुए तापमान के अनुरूप गैस के दबाव की गणना उपरोक्त गे-लुसाक के नियम समीकरण का उपयोग करके स्थिर मात्रा में की जा सकती है।
अभ्यास प्रश्न
गै -लुसैक नियम से आप क्या समझते हैं?