जीव
जिनमे विभिन्न जैविक क्रियायें, जिनमे पोषण, उपापचय, श्वसन, उत्सर्जन, गति, वृद्धि, जनन आदि क्रियायें होती हैं, वे सजीव कहलाती है। मनुष्य , बन्दर , गाय , घोड़ा , हिरन , बिल्ली , कुत्ता , पौधे आदि सजीव हैं। इनमें विभिन्न जैविक क्रियायें , जैसे पोषण , उपापचय , श्वसन , उत्सर्जन , गति , वृद्धि , जनन आदि क्रियायें होती हैं। पौधे एक स्थान पर स्थिर रहकर गति करते हैं।
सजीवों की विशेषताएँ
- सजीवों में पोषण की क्रिया होती है।
- सभी सजीव श्वसन करते हैं।
- सजीव वृद्धि एवं विकास करते हैं।
- सजीव गति करते हैं।
- ये सवेदनशील होते हैं।
- सजीव प्रजनन करते हैं।
सजीवों के लक्षण
- यह एककोशिकीय हो सकता है जैसे कि जीवाणु कोशिका, या बहुकोशिकीय जैसे कि जानवर और पौधे जो कई कोशिकाओं से बने होते हैं।
- एक जीवित वस्तु प्रजनन करती है। जीवित प्राणी दो तरीकों से प्रजनन करते हैं: लैंगिक प्रजनन और अलैंगिक प्रजनन।
- लैंगिक प्रजनन में, दो माता-पिता की नर और मादा कोशिकाएं एकजुट होती हैं और एक युग्मनज बनाती हैं जो अंततः अपनी तरह के अस्तित्व में विकसित होगा।
- अलैंगिक प्रजनन में, इसमें यौन कोशिकाएं शामिल नहीं होती हैं। संतान एक ही माता-पिता से आती है। उदाहरण द्विआधारी विखंडन, वानस्पतिक प्रसार, मुकुलन आदि हैं।
- इनमे वृद्धि, श्वसन और प्रजनन की क्षमता होती हैं।
- किसी भी जीवित वस्तु को जीवित रहने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
जनन
जीवधारियों में निरन्तर अपने जैसी सन्तान उत्पन्न करने की क्षमता होती है। बच्चों में अपने माता - पिता से मिलते - जुलते ही लक्षण पाये जाते हैं।
संवेदनशील
सजीव वातावरण में होने वाले परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील होते हैं और उद्दीपनों को ग्रहण कर अनुक्रिया प्रदर्शित करते हैं। जैसे - छुई-मुई के पौधे को छूने पर यह मुरझा जाता है। गर्म वस्तु पर जैसे ही हाथ-पैर पड़ते हैं वः तुरंत दूर जाते है।
अनुकूलन
जीवधारियों में अपने को वातावरण के अनुकूल अनुकूलन करने की क्षमता होती है ; जैसे - शीत प्रदेशों में रहने वाले जन्तुओं के शरीर पर घने बाल तथा त्वचा के नीचे चर्बी की मोटी पर्त होती है। मरुस्थलीय पौधे शुष्क वातावरण में रहने के लिए अनुकूलित होते हैं। इनकी पत्तियाँ सामान्यतया काँटों में बदल जाती हैं।
श्वसन
जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा श्वसन से प्राप्त होती है। जिसमे कार्बनिक पदार्थों का जैव- रासायनिक ऑक्सीकरण होता है। जीवधारी श्वसन के माध्यम से O2, ग्रहण करते हैं और CO2, मुक्त करते हैं।
जीवन-चक्र
जीवधारियों में एक निश्चित जीवन-चक्र होता है।
निर्जीव
पत्थर, मोमबंती , कार , जहाज , स्कूटर , पंखा आदि निर्जीव होते है। इनमें जैविक क्रियायें नही होती और न ही ये वृद्धि करते हैं। निर्जीव वस्तुएँ में जीवन नहीं होता है और यह जीवन क्रियाओं में भाग नहीं लेती हैं। निर्जीव वस्तुओं के प्रमुख लक्षणों में अजीवता, असंवेदना, और अक्रियाशीलता शामिल होते हैं।
उदाहरण
पत्थर, पानी, बिजली
लक्षण | सजीव | निर्जीव | |
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आकृति | सजीवों की आकृति निश्चित होती है। | निर्जीव वस्तुओं की कोई निश्चित आकृति नहीं होती है। | |
संरचना का कोशिकीय आधार | सजीवों का शरीर एक अथवा अनेक कोशिकाओं का बना होता है। तथा कोशिका मे जीव द्रव्य पाया जाता है। | इनकी संरचना कणों के जुड़ने से होती है। | |
पोषण | प्रत्येक जीवधारी को अपनी शारीरिक क्रियाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है। | इनको भोजन की आवश्यकता नहीं होती है। | |
वृद्धि | सजीव में आन्तरिक वृद्धि होती है। | इनमें बाह्य वृद्धि होती है। | |
श्वसन | सजीवों में श्वसन क्रिया होती है जिसके फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है। | इनमें श्वसन क्रिया नहीं होती है। | |
उपापचय | इनमें क्रियायें होती हैं। | इनमें ऐसी क्रियायें नहीं होती हैं। | |
उत्सर्जन | सजीवों के शरीर में उपापचय क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न बेकार एवं हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। | इनमें यह क्रिया नहीं होती। | |
गति | सजीवों में गति होती है। | निर्जीवों में गति नहीं होती है। | |
उत्तेजन | इनमें बाह्य उद्दीपनों के प्रति प्रतिक्रिया करने की क्षमता होती है। | इनमें इसका अभाव होता है। | |
प्रजनन करने की क्षमता | सजीव अपने जैसे जीवों को उत्पन्न करते हैं। | इनमें ऐसी क्षमता नहीं होती है। | |
जीवन-चक्र | इनमें निश्चित जीवन-चक्र होता है। | इनमें ऐसा नहीं होता है। | |
शारीरिक संगठन | जीवों में शारीरिक संगठन कोशिका, ऊतक, अंग, अंगतन्त्रों से होता है । | इनके आकार का गठन इनके तत्वों से होता है। विभिन्न धातुओं के बने भागों से स्कूटर, रेल, कार, जहाज की रचना होती है। |
अभ्यास प्रश्न
- निर्जीव किसे कहते हैं?
- सजीवों के 10 लक्षण क्या है?
- निर्जीव की विशेषताएँ बताइये
- सजीव किसे कहते हैं?
- सजीवों के 10 लक्षण क्या है?
- सजीवों की विशेषताएँ बताइये।