सहोपकारिता
जीवविज्ञान में सहोपकारिता या अन्तरजातीय सहयोग दो भिन्न जातियों के जीवों के बीच का ऐसा सम्बन्ध होता है जिसमें दोनों जीव एक-दूसरे से लाभ प्राप्त करते हैं। उदाहरण के लिए कई प्राणियों के जठरांत्र क्षेत्र मे विशेष प्रकार के बैक्टीरिया का निवास होता है। यह दो भिन्न प्रजाति के जीवों के बीच पाया जाने वाला सहजीवी सम्बन्ध होता है जिसमें दोनों जीवों को परस्पर लाभ होता है।
"जब एक जीव दूसरे जीव से पोषण प्राप्त करता है, तो इस संबंध को सहोपकारिता या परजीविता कहते हैं। इसमें एक जीव को लाभ तथा एक को हानि होती है। इस संबंध को सामान्यतः पोषक में कोई रोग पैदा होता है। उदा.- फीताकृमि एवं मनुष्य तथा जूं एवं मनुष्य का सम्बन्ध।"
जीव विज्ञान में, सहोपकारिता या अन्तरजातीय सहयोग दो अलग-अलग जातियों के जीवों के बीच का ऐसा रिश्ता होता है जिसमें दोनों जीव एक-दूसरे की क्रियाओं से फ़ायदा उठाते हैं. उदाहरण के लिए, कई जानवरों के जठरांत्र क्षेत्र में एक खास तरह के बैक्टीरिया रहते हैं।
उदाहरण
कवक और प्रकाश-संश्लेषी शैवाल या सायनोबैक्टीरिया के बीच घनिष्ठ सहोपकारी सम्बन्ध का उदाहरण लाइकेन में देखा जा सकता है। सहोपकारिता के सबसे शानदार और विकास की दृष्टि से लुभावने उदाहरण पादप-प्राणी सम्बन्ध में पाए जाते हैं।
लाइकेन में, शैवाल और कवक एक-दूसरे के साथ सहजीवी संबंध में रहते हैं. कवक शैवाल को आश्रय देता है और शैवाल कवक को भोजन देता है।
सहजीविता
जब दो जीव साथ-साथ एक-दूसरे से लाभ उठाते हुए जीवनयापन करते हैं, तो इस सम्बन्ध को सहजीविता कहते हैं। इस सम्बन्ध में दोनों ही जीव लाभान्वित होते हैं। उदा.-लाइकेन, मनुष्य के, आँत के जीवाणु।
अभ्यास प्रश्न
- सहोपकारिता से आप क्या समझते हैं ?
- सहजीविता से आप क्या समझते हैं ?